प्लंबर की संघर्ष से सफलता की प्रेरणादायक कहानी

प्लंबर की संघर्ष से सफलता की प्रेरणादायक कहानी, जिसमें जम्मू, दिल्ली, दुबई और कुवैत का सफ़र है — और एक वेबसाइट जिसने उसकी किस्मत बदल दी।

Wesite developer Shimla

8/5/20251 min read

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पानी की लीक से किस्मत की धार तक – मोहम्मद इक़बाल प्लंबर की कहानी

मोहम्मद इक़बाल जम्मू के एक छोटे से गाँव में पले-बढ़े। बचपन से ही हालात कठिन थे, और स्कूल की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही उन्होंने अपने चाचा से प्लंबिंग का काम सीखना शुरू कर दिया।

दिल्ली का संघर्ष

थोड़े अनुभव के बाद इक़बाल रोज़गार की तलाश में दिल्ली आए। बड़े शहर में काम तो मिला, लेकिन रोज़गार अस्थिर था। कभी महीने में 25 दिन काम, कभी सिर्फ 10। किराया, खाना और परिवार के खर्च पूरे करना मुश्किल हो गया।

विदेश जाने का फ़ैसला

बेहतर कमाई के सपने में उन्होंने पासपोर्ट बनवाया और दुबई का वीज़ा लिया। वहाँ उन्होंने बड़ी इमारतों और होटलों में प्लंबिंग का काम किया। शुरुआत में तनख्वाह ठीक लगी, लेकिन महंगा किराया और खर्चा देखकर एहसास हुआ कि बचत मुश्किल है।

कुछ साल बाद वे कुवैत चले गए। काम अच्छा था, लेकिन घर से हज़ारों किलोमीटर दूर रहना, त्योहार अकेले मनाना, और परिवार से दूर का दर्द बढ़ता गया।

वापसी और नई चुनौती

आखिरकार इक़बाल ने भारत लौटकर जम्मू में काम शुरू किया, लेकिन अब एक नई समस्या थी — ग्राहक ढूंढना।
गली-गली घूमना, पर्चे बांटना और जान-पहचान के लोगों से काम लेना – यही रोज़ का तरीका था, लेकिन ऑर्डर कम ही मिलते थे।

वेबसाइट ने बदली ज़िंदगी

एक दिन एक पुराने ग्राहक ने सुझाव दिया –
"इक़बाल भाई, आजकल लोग प्लंबर गूगल पर ढूंढते हैं। अपनी वेबसाइट बनवा लो, सब बदल जाएगा।"

इक़बाल ने पहले तो संकोच किया, लेकिन फिर एक प्रोफेशनल वेबसाइट बनवाई।
उस पर उन्होंने अपनी सर्विस, फोटो, चार्ज, और “ऑनलाइन बुकिंग” का बटन डाला।

कमाल का असर

वेबसाइट लाइव होते ही, गूगल सर्च में उनका नाम आने लगा।
अब ग्राहक उन्हें खुद कॉल करते थे, और ऑर्डर इतने बढ़ गए कि उन्होंने दो और हेल्पर रख लिए।

आज के मोहम्मद इक़बाल

आज इक़बाल सिर्फ जम्मू ही नहीं, बल्कि दिल्ली और आसपास के शहरों में भी सर्विस देते हैं।
विदेश में 12-12 घंटे काम करने के बावजूद जो कमाई नहीं हो पाती थी, वह अब अपने घर रहकर, परिवार के साथ रहकर कर रहे हैं।

इक़बाल मुस्कुराकर कहते हैं –
"दुबई और कुवैत ने मुझे मेहनत करना सिखाया, लेकिन जम्मू की एक वेबसाइट ने मुझे पहचान दिलाई और ज़िंदगी बदल दी।"